Tum Karuna Ke Sagar Ho, Meri Gagar Bhar Do.
तुम करूणा के सागर हो प्रभु मेरी गागर भर दो,
थके पाँव है, दूर गाँव है, अब तो कृपा कर दो ।
क्लेश द्वेश से भरा ये मन मैला मेरा तन है,
तुम कृपाला दीन दयाला तुम से ही जीवन है,
इस तन मन को उपवन करने का वरदान अमर दो ।
याचक बनकर खड़ा हूँ द्वारे दोनों हाथ मैं जोड़े,
परम पिता तुमको मैं जानू पिता ना बालक छोड़े,
दास नारायण करे अर्चना मेरी पीड़ा हर लो ।
थके पाँव है, दूर गाँव है, अब तो कृपा कर दो ।
क्लेश द्वेश से भरा ये मन मैला मेरा तन है,
तुम कृपाला दीन दयाला तुम से ही जीवन है,
इस तन मन को उपवन करने का वरदान अमर दो ।
याचक बनकर खड़ा हूँ द्वारे दोनों हाथ मैं जोड़े,
परम पिता तुमको मैं जानू पिता ना बालक छोड़े,
दास नारायण करे अर्चना मेरी पीड़ा हर लो ।
- Jagjit Singh.
- Kavi Narayan Agrawal.