Meri Ajab Hai Zindagi Kisi Se Kya Gila Karoon.
मेरी अजब है ज़िन्दगी किसी से क्या गिला करूँ,
तक़दीर रूठ जाए तो मेरे ख़ुदा मैं क्या करूँ ।
हालात ने नसीब में ग़म भर दिये हैं इस क़दर,
ना मंज़िलों की कुछ ख़बर मैं कारवाँ को क्या करूँ ।
मिल जाए डूबने पे भी आख़िर तू इक साहिल नहीं,
तूफ़ान की है आरज़ू तूफ़ान की दुआ करूँ ।
मंज़िल की थी तलाश तो ग़र्द-ए-सफ़र मिली मुझे,
आँखें बरस पड़ी मेरी काली घटा को क्या करूँ ।
तक़दीर रूठ जाए तो मेरे ख़ुदा मैं क्या करूँ ।
हालात ने नसीब में ग़म भर दिये हैं इस क़दर,
ना मंज़िलों की कुछ ख़बर मैं कारवाँ को क्या करूँ ।
मिल जाए डूबने पे भी आख़िर तू इक साहिल नहीं,
तूफ़ान की है आरज़ू तूफ़ान की दुआ करूँ ।
मंज़िल की थी तलाश तो ग़र्द-ए-सफ़र मिली मुझे,
आँखें बरस पड़ी मेरी काली घटा को क्या करूँ ।
- Jagjit Singh.