Hey Jag Trata Vishwa Vidhata Hey Sukh Shanti Niketan Hai.
हे जग त्राता विश्व विधाता,
हे सुख शान्ति निकेतन है ।
प्रेम के सिन्धु दीन के बन्धो,
दुख दरिद्र विनाशन है ।
नित्य अखण्ड़ अनंत अनादि,
पूरण ब्रह्म सनातन है ।
जग आश्रय जगपति जगबंदन,
अनुपम अलख निरंजन है ।
प्राण सखा त्रिभुवन प्रतिपालक,
जीवन के अवलम्बन है ।
हे सुख शान्ति निकेतन है ।
प्रेम के सिन्धु दीन के बन्धो,
दुख दरिद्र विनाशन है ।
नित्य अखण्ड़ अनंत अनादि,
पूरण ब्रह्म सनातन है ।
जग आश्रय जगपति जगबंदन,
अनुपम अलख निरंजन है ।
प्राण सखा त्रिभुवन प्रतिपालक,
जीवन के अवलम्बन है ।
- Jagjit Singh.