Aap Ko Dekh Kar Dekhta Reh Gaya Kya Kahoon Aur Kehne Ko.
आपको देखकर देखता रह गया,
क्या कहूँ और कहने को क्या रह गया ।
उनकी आँखों से कैसे छलकने लगा,
मेरे होठों पे जो माजरा रह गया ।
ऐसे बिछड़े सभी राह के मोड़ पर,
आख़िरी हमसफ़र रास्ता रह गया ।
सोच कर आओ कू-ए-तमन्ना है ये,
जानेमन जो यहाँ रह गया रह गया ।
क्या कहूँ और कहने को क्या रह गया ।
उनकी आँखों से कैसे छलकने लगा,
मेरे होठों पे जो माजरा रह गया ।
ऐसे बिछड़े सभी राह के मोड़ पर,
आख़िरी हमसफ़र रास्ता रह गया ।
सोच कर आओ कू-ए-तमन्ना है ये,
जानेमन जो यहाँ रह गया रह गया ।
- Jagjit Singh.
- Aziz Qaisi.