Yeh Jo Qaul-O-Qaraar Hai Kya Hai Shaq Hai Ya Aietbaar.
ये जो क़ौल-ओ-क़रार है क्या है,
शक़ है या ऐतबार है क्या है ।
ये जो उठता है दिल में रह रह कर,
अब्र है या गुबार है क्या है ।
ज़ेर-ए-लब इक झलक तबस्सुम की,
बर्क़ है या शरार है क्या है ।
कोई दिल का मक़ाम समझाओ,
घर है या रहगुज़ार है क्या है ।
ना खुला ये के सामना तेरा,
दीद है इंतज़ार है क्या है ।
शक़ है या ऐतबार है क्या है ।
ये जो उठता है दिल में रह रह कर,
अब्र है या गुबार है क्या है ।
ज़ेर-ए-लब इक झलक तबस्सुम की,
बर्क़ है या शरार है क्या है ।
कोई दिल का मक़ाम समझाओ,
घर है या रहगुज़ार है क्या है ।
ना खुला ये के सामना तेरा,
दीद है इंतज़ार है क्या है ।
- Vinod Sehgal.