Nazar Woh Hai Ke Jo Kaun-O-Makaan Ke Paar Ho Jaaye.

नज़र वो है के जो कौन-ओ-मकाँ के पार हो जाये,
मगर जब रू-ए-ताबाँ पर पड़े बेकार हो जाये ।

नज़र उस हुस्न पर ठहरे तो आख़िर किस तरह ठहरे,
कभी जो फूल बन जाये कभी रुख़सार हो जाये ।

चला जाता हूँ हँसता खेलता मौज-ए-हवादिस से,
अगर आसानियाँ हों ज़िंदगी दुशवार हो जाये ।
  • Jagjit Singh.
  • Asghar Gondvi.