Muddat Mein Woh Phir Taaza Mulaqaat Ka Aalam.

मुद्दत में वो फिर ताज़ा मुलाक़ात का आलम,
ख़ामोश अदाओं में वो जज़्बात का आलम ।

अल्लाह रे वो शिद्दत-ए-जज़्बात का आलम,
कुछ कह के वो भूली हुई हर बात का आलम ।

आरिज़ से ढ़लकते हुए शबनम के वो क़तरे,
आँखों से झलकता हुआ बरसात का आलम ।

वो नज़रों ही नज़रों में सवालात की दुनिया,
वो आँखों ही आँखों में जवाबात का आलम ।
  • Jagjit Singh.
  • Jigar Moradabadi.