Chupke Chupke Raat Din Aansoo Bahana Yaad Hai.
चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है,
हमको अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है ।
तुझसे कुछ मिलते ही वो बेबाक हो जाना मेरा,
और तेरा दांतों में वो ऊँगली दबाना याद है ।
खींच लेना वो मेरा पर्दे का कोना दफ़्फ़ातन,
और दुपट्टे से तेरा वो मुँह छुपाना याद है ।
दो-पहर की धूप में मेरे बुलाने के लिये,
वो तेरा कोठे पे नंगे पांव आना याद है ।
हमको अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है ।
तुझसे कुछ मिलते ही वो बेबाक हो जाना मेरा,
और तेरा दांतों में वो ऊँगली दबाना याद है ।
खींच लेना वो मेरा पर्दे का कोना दफ़्फ़ातन,
और दुपट्टे से तेरा वो मुँह छुपाना याद है ।
दो-पहर की धूप में मेरे बुलाने के लिये,
वो तेरा कोठे पे नंगे पांव आना याद है ।
- Jagjit Singh.
- Hasrat Mohani.