Roshan Jamal-E-Yaar Se Hai Anjuman Tamaam.
रोशन जमाल-ए-यार से है अंजुमन तमाम,
दहका हुआ है आतिश-ए-गुल से चमन तमाम ।
अल्लाह रे जिस्म-ए-यार की खूबी के ख़ुद-ब-ख़ुद,
रंगीनियों में ड़ूब गया पैराहन तमाम ।
देखो तो चश्म-ए-यार की जादूनिगाहियाँ,
बेहोश इक नज़र में हुई अंजुमन तमाम ।
दहका हुआ है आतिश-ए-गुल से चमन तमाम ।
अल्लाह रे जिस्म-ए-यार की खूबी के ख़ुद-ब-ख़ुद,
रंगीनियों में ड़ूब गया पैराहन तमाम ।
देखो तो चश्म-ए-यार की जादूनिगाहियाँ,
बेहोश इक नज़र में हुई अंजुमन तमाम ।
- Jagjit Singh.
- Hasrat Mohani.