Ishq Ke Shole Ko Bhadkao Ke Kuch Raat Kate.
इश्क़ के शोले को भड़काओ कि कुछ रात कटे,
दिल के अंगारे को दहकाओ कि कुछ रात कटे ।
हिज्र में मिलने शब-ए-माह के गम आये हैं,
चारासाज़ों को भी बुलवाओ कि रात कटे ।
चश्म-ओ-रुख़सार के अज़गार को जारी रखो,
प्यार के नग़मे को दोहराओ कि कुछ रात कटे ।
कोह-ए-ग़म और गराँ और गराँ और गराँ,
ग़मज़दों तेश को चमकाओ कि कुछ रात कटे ।
दिल के अंगारे को दहकाओ कि कुछ रात कटे ।
हिज्र में मिलने शब-ए-माह के गम आये हैं,
चारासाज़ों को भी बुलवाओ कि रात कटे ।
चश्म-ओ-रुख़सार के अज़गार को जारी रखो,
प्यार के नग़मे को दोहराओ कि कुछ रात कटे ।
कोह-ए-ग़म और गराँ और गराँ और गराँ,
ग़मज़दों तेश को चमकाओ कि कुछ रात कटे ।
- Jagjit Singh.
- Makhdoom Moinuddin.