Raat Bhar Deeda-E-Namnaak Mein Leharate Rahe.
रात भर दीदा-ए-नमनाक में लहराते रहे,
सांस की तरह से आप आते रहे जाते रहे,
खुश थे हम अपनी तमन्नाओं का ख़्वाब आएगा,
अपना अरमान बर-अफ़्गंदा नक़ाब आएगा,
आ गई थी दिल-ए-मुज़्तर में शकेबाई सी,
बज रही थी मेरे ग़मखाने में शहनाई सी,
शब के जागे हुए तारों को भी नींद आने लगी,
आप के आने की इक आस थी अब जाने लगी,
सुबह ने सेज से उठते हुए ली अंगड़ाई,
ओ सबा तू भी जो आई तो अकेले आई ।
सांस की तरह से आप आते रहे जाते रहे,
खुश थे हम अपनी तमन्नाओं का ख़्वाब आएगा,
अपना अरमान बर-अफ़्गंदा नक़ाब आएगा,
आ गई थी दिल-ए-मुज़्तर में शकेबाई सी,
बज रही थी मेरे ग़मखाने में शहनाई सी,
शब के जागे हुए तारों को भी नींद आने लगी,
आप के आने की इक आस थी अब जाने लगी,
सुबह ने सेज से उठते हुए ली अंगड़ाई,
ओ सबा तू भी जो आई तो अकेले आई ।
- Jagjit Singh & Asha Bhosle.
- Makhdoom Moinuddin.