Wasl Ki Raat To Rahat Se Basar Hone Do Shaam Jisse Hai.

वस्ल की रात तो राहत से बसर होने दो,
शाम से ही है ये धमकी के सहर होने दो ।

जिसने ये दर्द दिया है वो दवा भी देगा,
लादवा है जो मेरा दर्द-ए-जिगर होने दो ।

ज़िक्र रुख़सत का अभी से न करो बैठो भी,
जान-ए-मन रात गुज़रने दो सहर होने दो ।

वस्ल-ए-दुश्मन की ख़बर मुझसे अभी कुछ ना कहो,
ठहरो ठहरो मुझे अपनी तो ख़बर होने दो ।
  • Jagjit Singh.