Har Gosha Gulista Tha Kal Raat Jahan Main Tha.

हर गोशा गुलिस्ताँ था कल रात जहाँ मैं था,
एक जश्न-ए-बहाराँ था कल रात जहाँ मैं था ।

नग़्मे थे हवाओं में जादू था फ़िज़ाओं में,
हर साँस ग़ज़लफ़ाँ था कल रात जहाँ मैं था ।

दरिया-ए-मोहब्बत में कश्ती थी जवानी की,
जज़्बात का तूफ़ाँ था कल रात जहाँ मैं था ।

मेहताब था बाहों में जलवे थे निगाहों में,
हर सिम्त चराग़ाँ था कल रात जहाँ मैं था ।

'ख़ालिद' ये हक़ीक़त है नाकर्दा गुनाहों की,
मै ख़ूब पशेमाँ था कल रात जहाँ मैं था ।
  • Khalid Kuwaiti.
  • Jagjit Singh.