Rind Jo Mujhko Samajhate Hain Unhein Hosh Nahin.
रिंद जो मुझको समझते हैं उन्हे होश नहीं,
मैक़दा-साज़ हूँ मै मैक़दा-बरदोश नहीं ।
ये अलग बात है साक़ी के मुझे होश नहीं,
वर्ना मै कुछ भी हूँ एहसान-फ़रामोश नहीं ।
पाँव उठ सकते नहीं मंज़िल-ए-जाना के ख़िलाफ़,
और अगर होश की पूछो तो मुझे होश नहीं ।
अब तो तासीर-ए-ग़म-ए-इश्क़ यहाँ तक पहुँची,
के इधर होश अगर है तो उधर होश नहीं ।
जो मुझे देखता है नाम तेरा लेता है,
मै तो ख़ामोश हूँ हालत मेरी ख़ामोश नहीं ।
मेहंद-ए-तस्बीह तो सब हैं मगर इदराक कहां,
ज़िंदगी ख़ुद ही इबादत है मगर होश नहीं ।
कभी उन मदभरी आँखों से पिया था इक जाम,
आज तक होश नहीं होश नहीं होश नहीं ।
मिल के इक बार गया है कोई जिस दिन से 'जिगर',
मुझको ये वहम है शायद मेरा था होश नहीं ।
मैक़दा-साज़ हूँ मै मैक़दा-बरदोश नहीं ।
ये अलग बात है साक़ी के मुझे होश नहीं,
वर्ना मै कुछ भी हूँ एहसान-फ़रामोश नहीं ।
पाँव उठ सकते नहीं मंज़िल-ए-जाना के ख़िलाफ़,
और अगर होश की पूछो तो मुझे होश नहीं ।
अब तो तासीर-ए-ग़म-ए-इश्क़ यहाँ तक पहुँची,
के इधर होश अगर है तो उधर होश नहीं ।
जो मुझे देखता है नाम तेरा लेता है,
मै तो ख़ामोश हूँ हालत मेरी ख़ामोश नहीं ।
मेहंद-ए-तस्बीह तो सब हैं मगर इदराक कहां,
ज़िंदगी ख़ुद ही इबादत है मगर होश नहीं ।
कभी उन मदभरी आँखों से पिया था इक जाम,
आज तक होश नहीं होश नहीं होश नहीं ।
मिल के इक बार गया है कोई जिस दिन से 'जिगर',
मुझको ये वहम है शायद मेरा था होश नहीं ।
- Jigar Moradabadi.
- Abdul Hameed 'Adam'.
- Jagjit Singh.