Utha Surahi Ye Sheesha-O-Jaam Le Saaqi Phir Uske Baad Khuda Ka.
उठा सुराही ये शीशा-ओ-जाम ले साक़ी,
फिर उसके बाद ख़ुदा का भी नाम ले साक़ी ।
फिर उसके बाद हमें तिशनगी रहे ना रहे,
कुछ और देर मुरव्वत से काम ले साक़ी ।
फिर उसके बाद जो होगा वो देखा जाएगा,
अभी तो पीने पीलाने से काम ले साक़ी ।
तेरे हुज़ुर में होश-ओ-ख़ीरद से क्या हासिल,
नहीं है मय तो निगाहों से काम ले साक़ी ।
फिर उसके बाद ख़ुदा का भी नाम ले साक़ी ।
फिर उसके बाद हमें तिशनगी रहे ना रहे,
कुछ और देर मुरव्वत से काम ले साक़ी ।
फिर उसके बाद जो होगा वो देखा जाएगा,
अभी तो पीने पीलाने से काम ले साक़ी ।
तेरे हुज़ुर में होश-ओ-ख़ीरद से क्या हासिल,
नहीं है मय तो निगाहों से काम ले साक़ी ।
- Kunwar Mahendra Singh Bedi 'Sahar'.
- Jagjit Singh.