Chand Se Phool Se Ya Meri Zubaan Se Suniye Har Taraf.
चाँद से फूल से या मेरी ज़ुबाँ से सुनिए,
हर तरफ़ आपका किस्सा है जहाँ से सुनिए ।
सबको आता है कि दुनिया को सताकर जीना,
ज़िन्दगी क्या है मोहब्बत की दुआ से सुनिए ।
मेरी आवाज़ ही परदा है मेरे चेहरे का,
मैं हूँ ख़ामोश जहाँ मुझको वहाँ से सुनिए ।
क्या ज़रूरी है कि हर परदा उठाया जाए,
मेरे हालात भी अपने मकाँ से सुनिए ।
हर तरफ़ आपका किस्सा है जहाँ से सुनिए ।
सबको आता है कि दुनिया को सताकर जीना,
ज़िन्दगी क्या है मोहब्बत की दुआ से सुनिए ।
मेरी आवाज़ ही परदा है मेरे चेहरे का,
मैं हूँ ख़ामोश जहाँ मुझको वहाँ से सुनिए ।
क्या ज़रूरी है कि हर परदा उठाया जाए,
मेरे हालात भी अपने मकाँ से सुनिए ।
- Nida Fazli.
- Jagjit Singh.