Apna Gham Leke Kahin Aur Na Jaaya Jaaye Ghar Mein.
अपना ग़म ले के कहीं और ना जाया जाए,
घर में बिखरी हुई चीज़ों को सजाया जाए ।
जिन चराग़ों को हवाओं का कोई खौफ़ नहीं,
उन चराग़ों को हवाओं से बचाया जाए ।
बाग में जाने के आदाब हुआ करते हैं,
किसी तित्ली को न फूलों से उड़ाया जाए ।
घर से मस्ज़िद है बहुत दूर चलो यूँ कर ले,
किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए ।
घर में बिखरी हुई चीज़ों को सजाया जाए ।
जिन चराग़ों को हवाओं का कोई खौफ़ नहीं,
उन चराग़ों को हवाओं से बचाया जाए ।
बाग में जाने के आदाब हुआ करते हैं,
किसी तित्ली को न फूलों से उड़ाया जाए ।
घर से मस्ज़िद है बहुत दूर चलो यूँ कर ले,
किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए ।
- Nida Fazli.
- Jagjit Singh.