Jeevan Kya Hai Chalta Phirta Ek Khilona Hai Do Aankhon.

जीवन क्या है चलता फिरता एक ख़िलौना है,
दो आँखों में एक से हसँना एक से रोना है ।

जो जी चाहे वो मिल जाए कब ऐसा होता है,
हर जीवन जीवन जीने का समझौता है,
अब तक जो होता आया है वो ही होना है ।

रात अन्धेरी, भोर सुनहरी यही ज़माना है,
हर चादर में सुख का ताना दुख का बाना है,
आती साँस को पाना जाती साँस को खोना है ।

दो चहरो से जीना भी कैसी मजबूरी है,
जितना जो नज़दीक है उससे उतनी दूरी है,
फूलों के सपने लेकर काटों पर सोना है ।

दूर पहाड़ी के पीछे जब सूरज ढ़लता है,
परछाई जैसा कोई सांसो में चलता है,
भूली बिसरी यादों को अश्क़ो से धोना है ।
  • Nida Fazli.
  • Jagjit Singh.