Abhi Woh Kamsin Ubhar Raha Hai Abhi Hai Us Par Shabaab Aadha.
अभी वो कम्सीन उभर रहा है, अभी है उस पर शबाब आधा,
अभी ज़िगर में ख़लिश है आधी, अभी है मुझ पर इताब आधा ।
मेरे सवाल-ए-वस्ल पर तुम, नज़र झुका कर खड़े हुए हो,
तुम्हीं बताओं ये बात क्या है, सवाल पूरा जवाब आधा ।
लगा के लारे पे ले तो आया हूँ, शेख़ साहब को मैक़दे तक,
अगर ये दो गूँट आज पी लें, मिलेगा मुझको सवाब आधा ।
कभी सितम है कभी करम है, कभी तवज़्ज़ो कभी तग़ाफ़ुल,
ये साफ़ ज़ाहिर है मुझ पे अब तक, हुआ हूँ मैं कामयाब आधा ।
अभी ज़िगर में ख़लिश है आधी, अभी है मुझ पर इताब आधा ।
मेरे सवाल-ए-वस्ल पर तुम, नज़र झुका कर खड़े हुए हो,
तुम्हीं बताओं ये बात क्या है, सवाल पूरा जवाब आधा ।
लगा के लारे पे ले तो आया हूँ, शेख़ साहब को मैक़दे तक,
अगर ये दो गूँट आज पी लें, मिलेगा मुझको सवाब आधा ।
कभी सितम है कभी करम है, कभी तवज़्ज़ो कभी तग़ाफ़ुल,
ये साफ़ ज़ाहिर है मुझ पे अब तक, हुआ हूँ मैं कामयाब आधा ।
- Kunwar Mahendra Singh Bedi 'Sahar'.
- Jagjit Singh.