Kaun Kehta Hai Mohabbat Ki Zubaan Hoti Hai.
कौन कहता है मोहब्बत की जुबाँ होती है,
ये हक़ीक़त तो निगाहों से बयाँ होती है ।
वो ना आए तो सताती है ख़लिश दिल को,
वो जो आए तो ख़लिश और जवाँ होती है ।
रूह को शाद करें दिल को जो पुर-नूर करे,
हर नज़ारे में ये तनवीर कहाँ होती है ।
ज़ब्त-ए-सैलाब-ए-मोहब्बत को कहाँ तक रोके,
दिल में जो बात हो आँखों से अयाँ होती है ।
ज़िन्दगी एक सुलगती सी चिता है ‘साहिर’,
शोला बनती है ना ये बुझ के धुँआ होती है ।
ये हक़ीक़त तो निगाहों से बयाँ होती है ।
वो ना आए तो सताती है ख़लिश दिल को,
वो जो आए तो ख़लिश और जवाँ होती है ।
रूह को शाद करें दिल को जो पुर-नूर करे,
हर नज़ारे में ये तनवीर कहाँ होती है ।
ज़ब्त-ए-सैलाब-ए-मोहब्बत को कहाँ तक रोके,
दिल में जो बात हो आँखों से अयाँ होती है ।
ज़िन्दगी एक सुलगती सी चिता है ‘साहिर’,
शोला बनती है ना ये बुझ के धुँआ होती है ।
- Sahir Hoshiyarpuri.
- Chitra - Jagjit Singh.