Nashili Raat Mein Jab Tumne Zulfon Ko Sanwara Hai.

नशीली रात में जब तुमने ज़ुल्फ़ों को सँवारा है,
हमारे जज़्बा–दिल को उमंगो ने उभारा है

गुलों को मिल गयी रंगत तुम्हारे सुर्ख गालों से,
सितारों ने चमक पाई तब्बसुम के उजालों से,
तुम्हारी मुस्कुराहट ने बहारों को निखारा है,
हमारे जज़्बादिल को उमंगो ने उभारा है

लबरंगीन अरे तौबा गुलाबी कर दिया मौसम,
तुम्हारी शौख नज़रों ने शराबी कर दिया मौसम,
नशे में चूर है आलम नशीला हर नज़ारा है,
हमारे जज़्बादिल को उमंगो ने उभारा है
  • Jagjit Singh.