Na Mohabbat Na Dosti Ke Liye Waqt Rukta Nahi.

ना मोहब्बत ना दोस्ती के लिये,
वक्‍़त रूकता नहीं किसी के लिये ।

दिल को अपने सज़ा ना दे यूँ ही,
इस ज़माने की बेरूखी के लिये ।

कल जवानी का हश्र क्या होगा,
सोच ले आज दो घड़ी के लिये ।

हर कोई प्यार ढूँढता हैं यहाँ,
अपनी तन्हा सी ज़िन्दगी के लिये ।

वक्‍़त के साथ साथ चलता रहे,
यही बेहतर है आदमी के लिये ।
  • Jagjit Singh.