Tum Itna Jo Muskura Rahe Ho Kya Gham Hai Jisko.
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो,
क्या ग़म है जिसको छुपा रहे हो ।
आँखों में नमी हँसी लबों पर,
क्या हाल है क्या दिखा रहे हो ।
बन जायेंगे ज़हर पीते पीते,
ये अश्क़ जो पीते रहे हो ।
जिन ज़ख्मों को वक़्त भर चला है,
तुम क्यूँ उन्हें छेड़े जा रहे हो ।
रेखाओं का खेल है मुक्क़द्दर,
रेखाओं से मात खा रहे हो ।
क्या ग़म है जिसको छुपा रहे हो ।
आँखों में नमी हँसी लबों पर,
क्या हाल है क्या दिखा रहे हो ।
बन जायेंगे ज़हर पीते पीते,
ये अश्क़ जो पीते रहे हो ।
जिन ज़ख्मों को वक़्त भर चला है,
तुम क्यूँ उन्हें छेड़े जा रहे हो ।
रेखाओं का खेल है मुक्क़द्दर,
रेखाओं से मात खा रहे हो ।
- Kaifi Aazmi.
- Jagjit Singh.