Ab Main Ration Ki Kataron Mein Nazar Aata Hoon.
अब मैं राशन की कतारों में नज़र आता हूँ,
अपने खेतों से बिछड़ने की सज़ा पाता हूँ ।
इतनी महंगाई के बाज़ार से कुछ लाता हूँ,
अपने बच्चों में उसे बाँट के शर्माता हूँ ।
अपनी नींदो का लहू पोछने की कोशिश में,
जागते जागते थक जाता हूँ सो जाता हूँ ।
कोई चादर समझ के खींच ना ले फिर से ‘ख़लील’,
मैं क़फ़न ओढ़ के फूटपाथ पे सो जाता हूँ ।
अपने खेतों से बिछड़ने की सज़ा पाता हूँ ।
इतनी महंगाई के बाज़ार से कुछ लाता हूँ,
अपने बच्चों में उसे बाँट के शर्माता हूँ ।
अपनी नींदो का लहू पोछने की कोशिश में,
जागते जागते थक जाता हूँ सो जाता हूँ ।
कोई चादर समझ के खींच ना ले फिर से ‘ख़लील’,
मैं क़फ़न ओढ़ के फूटपाथ पे सो जाता हूँ ।
- Khaleel Dhalijvi.
- Jagjit Singh.