Parakhna Mat Parakhne Mein Koi Apna Nahi Rehta.
परखना मत परखने में कोइ अपना नहीं रहता,
किसी भी आईने में देर तक चेहरा नहीं रहता ।
बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फ़ासला रखना,
जहाँ दरीया समन्दर से मिला दरीया नहीं रहता ।
तुम्हारा शहर तो बिलकुल नए अन्दाज़ वाला है,
हमारे शहर में भी अब कोइ हमसा नहीं रहता ।
मोहब्बत एक खुश्बू है हमेशा साथ चलती है,
कोइ इन्सान तन्हाई में भी तन्हा नहीं रहता ।
किसी भी आईने में देर तक चेहरा नहीं रहता ।
बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फ़ासला रखना,
जहाँ दरीया समन्दर से मिला दरीया नहीं रहता ।
तुम्हारा शहर तो बिलकुल नए अन्दाज़ वाला है,
हमारे शहर में भी अब कोइ हमसा नहीं रहता ।
मोहब्बत एक खुश्बू है हमेशा साथ चलती है,
कोइ इन्सान तन्हाई में भी तन्हा नहीं रहता ।
- Bashir Badr.
- Jagjit Singh.