Mai Rahe Meena Rahe Gardish Mein Paimaana Rahe. / मय रहे मीना रहे गर्दिश में पैमाना रहे,
मय रहे मीना रहे गर्दिश में पैमाना रहे,
मेरे साक़ी तू रहे आबाद मैख़ाना रहे ।
हश्र ही तो चुका रूख़ से नहीं हटती नक़ाब,
हद भी आख़िर कुछ है कब तक कोई दिवाना रहे ।
रात को जा बैठते हैं रोज़ हम मजनू के पास,
पहले अनबन रह चुकी है अब तो याराना रहे ।
ज़िन्दगी का लुत्फ़ हो उड़ती रहे हरदम ‘रियाज़’,
हम हो शिशे की परी हो घर परीख़ाना रहे ।
मेरे साक़ी तू रहे आबाद मैख़ाना रहे ।
हश्र ही तो चुका रूख़ से नहीं हटती नक़ाब,
हद भी आख़िर कुछ है कब तक कोई दिवाना रहे ।
रात को जा बैठते हैं रोज़ हम मजनू के पास,
पहले अनबन रह चुकी है अब तो याराना रहे ।
ज़िन्दगी का लुत्फ़ हो उड़ती रहे हरदम ‘रियाज़’,
हम हो शिशे की परी हो घर परीख़ाना रहे ।
- Riaz Khairabadi.
- Jagjit Singh.