Ek Parwaz Dikhayi Dii Hai Teri Aawaaz Sunayii Dii Hai. / एक परवाज़ दिखाई दी है, तेरी आवाज़ सुनाई दी है ।
एक परवाज़ दिखाई दी है,
तेरी आवाज़ सुनाई दी है ।
जिसकी आँखों में कटी थी सदियाँ,
उसने सदियों की जुदाई दी है ।
सिर्फ़ एक सफ़हा पलटकर उसने,
सारी बातों की सफ़ाई दी है ।
फिर वहीं लौट के जाना होगा,
यार ने कैसी रिहाई दी हैं ।
आग में क्या क्या जला है शब भर,
कितनी खुशरंग दिखाई दी है ।
तेरी आवाज़ सुनाई दी है ।
जिसकी आँखों में कटी थी सदियाँ,
उसने सदियों की जुदाई दी है ।
सिर्फ़ एक सफ़हा पलटकर उसने,
सारी बातों की सफ़ाई दी है ।
फिर वहीं लौट के जाना होगा,
यार ने कैसी रिहाई दी हैं ।
आग में क्या क्या जला है शब भर,
कितनी खुशरंग दिखाई दी है ।
- Gulzar.
- Jagjit Singh.