Zakhm Jo Aapki Innayat Hai Is Nishani Ko Naam Kya Dein Hum.

ज़ख़्म जो आपकी इनायत है, इस निशानी को नाम क्या दें हम,
प्यार दीवार बन के रह गया है, इस कहानी को नाम क्या दें हम ।

आप इल्ज़ाम धर गए हम पर, एक एहसान कर गये हम पर,
आपकी ये भी मेहरबानी है, मेहरबानी को नाम क्या दें हम ।

आपको यूँ ही ज़िन्दगी समझा, धूप को हमने चाँदनी समझा,
भूल ही भूल जिसकी आदत है, इस जवानी को नाम क्या दें हम ।

रात सपना बहार का देखा, दिन हुआ तो गुबार सा देखा,
बेवफ़ा वक़्त बेज़ुबाँ निकला, बेज़ुबानी को नाम क्या दें हम ।
  • Chitra Singh.
  • Sudarshan Faakir.