Sehma Sehma Dara Sa Rehta Jaane Kyun Jee Bhara Sa Rehta Hai.

शाम से आज साँस भारी है, बेक़रारी है, बेक़रारी है, आपके बाद हल्क भी हमने आपके साथ ही गुज़ारी है ।

सहमा सहमा डरा सा रहता है,
जाने क्यूँ जी भरा सा रहता है ।

इश्क़ में और कुछ नहीं होता,
आदमी बावरा सा रहता हैं ।

एक पल देख लूँ तो उठता हूँ,
जल गया सब ज़रा सा रहता है ।

चाँद जब आसमाँ पे आ जाए,
आप का आसरा सा रहता है ।
  • Jagjit Singh.
  • Gulzar.