Kya Batayein Ki Jaan Gayi Kaise Phir Dohrayein Wo Ghadi Kaise.
क्या बताऐं के जान गई कैसे,
फिर से दोहराऐं वो घड़ी कैसे ।
किसने रस्ते में चाँद रखा था,
मुझको ठोकर वहाँ लगी कैसे ।
वक़्त पे पाँव कब रखा हमने,
ज़िन्दगी मुँह के बल गिरी कैसे ।
आँख तो भर गई थी पानी से,
तेरी तस्वीर जल गई कैसे ।
हम तो अब याद भी नहीं करते,
आप को हिचकी लग गई कैसे ।
- Jagjit Singh.
- Gulzar.