In Ashqon Paani Kehna Bhool Nahin Naadani Hai.
इन अश्क़ों को पानी कहना, भूल नहीं नादानी है,
तन मन में जो आग लगा दे, ये तो ऐसा पानी है ।
कैसे तुमसे इश्क़ हुआ था, क्या क्या हम पर बीती है,
सुन लो तो सच्चा अफ़साना, वरना एक कहानी है ।
शेख़-ओ-ब्राह्मण ज़ाहिद-ओ-वाइज़, पीरी में ये क्या जाने,
भूल भी हो जाती है इसमें, इसका नाम जवानी है ।
दुख-सुख सहना और खुश रहना, इश्क़ में लाज़िम है ये ‘सहर’,
दिल वाले हो मत घबराओ, ये तो रीत पुरानी है ।
तन मन में जो आग लगा दे, ये तो ऐसा पानी है ।
कैसे तुमसे इश्क़ हुआ था, क्या क्या हम पर बीती है,
सुन लो तो सच्चा अफ़साना, वरना एक कहानी है ।
शेख़-ओ-ब्राह्मण ज़ाहिद-ओ-वाइज़, पीरी में ये क्या जाने,
भूल भी हो जाती है इसमें, इसका नाम जवानी है ।
दुख-सुख सहना और खुश रहना, इश्क़ में लाज़िम है ये ‘सहर’,
दिल वाले हो मत घबराओ, ये तो रीत पुरानी है ।
- Kunwar Mahendra Singh Bedi 'Sahar'.
- Jagjit Singh.