Ek Deewane Ko Aaye Hain Samjhane Kai Pehle Main.
एक दीवाने को ये आये हैं समझाने कई,
पहले मै दीवाना था और अब हैं दीवाने कई ।
मुझको चुप रहना पड़ा बस आप का मुँह देखकर,
वरना महफ़िल में थे मेरे जाने पहचाने कई ।
एक ही पत्थर लगे हैं हर इबादतगाह में,
गढ़ लिये हैं एक बुत के सबने अफ़साने कई ।
मैं वो काशी का मुसलमाँ हूँ के जिसको ऐ 'नज़ीर',
अपने घेरे में लिये रहते हैं बुतख़ाने कई ।
पहले मै दीवाना था और अब हैं दीवाने कई ।
मुझको चुप रहना पड़ा बस आप का मुँह देखकर,
वरना महफ़िल में थे मेरे जाने पहचाने कई ।
एक ही पत्थर लगे हैं हर इबादतगाह में,
गढ़ लिये हैं एक बुत के सबने अफ़साने कई ।
मैं वो काशी का मुसलमाँ हूँ के जिसको ऐ 'नज़ीर',
अपने घेरे में लिये रहते हैं बुतख़ाने कई ।
- Nazir Banarasi.
- Jagjit Singh.