Bazm-E-Dushman Mein Bulate Ho Ye Kya Karte Ho.

बज़्म-ए-दुश्मन में बुलाते हो ये क्या करते हो,
और फिर आँख चुराते हो ये क्या करते हो ।

बाद मेरे कोई मुझ सा ना मिलेगा तुम को,
ख़ाक में किस को मिलाते हो ये क्या करते हो ।

छींटे पानी के ना दो नींद भरी आँखों पर,
सोते फ़ितने को जगाते हो ये क्या करते हो ।

हम तो देते नहीं क्या ये भी ज़बरदस्ती है,
छीन कर दिल लिये जाते हो ये क्या करते हो ।

हो ना जाये कहीं दामन का छुड़ाना मुश्किल,
मुझ को दीवाना बनाते हो ये क्या करते हो ।
  • Jagjit Singh.