Garaj Baras Pyaasi Dharti Par Phir Paani De Maula.
गरज बरस प्यासी धरती पर फिर पानी दे मौला,
चिड़ीयों को दाने बच्चों को गुड़-धानी दे मौला ।
दो और दो का जोड़ हमेशा चार कहाँ होता है,
सोच समझ वालों को थोड़ी नादानी दे मौला ।
फिर रोशन कर ज़हर का प्याला चमका नयी सलिबें,
झूठों कि दुनिया में सच को ताबानी दे मौला ।
फिर मुरत से बाहर आकर चारों ओर बिखर जा,
फिर मंदिर को कोई मीरा दीवानी दे मौला ।
तेरे होते कोई किसी की जान का दुश्मन क्यूँ,
जीने वालों को मरने की आसानी दे मौला ।
चिड़ीयों को दाने बच्चों को गुड़-धानी दे मौला ।
दो और दो का जोड़ हमेशा चार कहाँ होता है,
सोच समझ वालों को थोड़ी नादानी दे मौला ।
फिर रोशन कर ज़हर का प्याला चमका नयी सलिबें,
झूठों कि दुनिया में सच को ताबानी दे मौला ।
फिर मुरत से बाहर आकर चारों ओर बिखर जा,
फिर मंदिर को कोई मीरा दीवानी दे मौला ।
तेरे होते कोई किसी की जान का दुश्मन क्यूँ,
जीने वालों को मरने की आसानी दे मौला ।
- Nida Fazli.
- Jagjit Singh.