Sholaa Hoon Bhadakne Kii Guzaarish Nahi Karta.

शोला हूँ भड़कने की गुज़ारिश नहीं करता,
सच मुँह से निकल जाता है कोशिश नहीं करता ।

गिरती हुई दिवार का हमदर्द हूँ लेकिन,
चढ़ते हुए सूरज की परस्तिश नहीं करता ।

माथे के पसीने कि महक आए न जिससे,
वो ख़ून मेरे जिस्म में गर्दीश नहीं करता ।

हमदर्द तेरे एहबाब से डरता हूँ ' मुज़फ़्फ़र ',
मैं ज़ख्म तो रखता हूँ नुमाईश नहीं करता ।
  • Muzaffar Warsi.
  • Jagjit Singh.