Shaayad, Phir Usi Raahguzar Par Shaayad.

फिर उसी राहगुज़र पर शायद,
हम कभी मिल सकें मगर शायद ।

जान पहचान से ही क्या होगा,
फिर भी ऐ दोस्त गौर कर शायद ।

मुन्तज़िर जिनके हम रहे उन को,
मिल गए और हमसफ़र शायद ।

जो भी बिछड़े हैं कब मिले हैं ' फ़राज़ ' ,
फिर भी तू इंतज़ार कर शायद ।
  • Ahmed Faraz.
  • Jagjit Singh.