Humsafar Hota Koi To Baant Lete Dooriyan.
हमसफ़र होता कोई तो बाँट लेटे दूरीयाँ,
राह चलते लोग क्या समझे मेरी मजबूरीयाँ ।
मुस्कुराते ख़्वाब चुनती गुन-गुनाती ये नज़र,
किस तरह समझे मेरी क़िस्मत की ना-मंज़ूरीयाँ ।
हादसों की भीड़ है चलता हुआ ये कारवाँ,
ज़िन्दगी का नाम है लाचारीयाँ मजबूरीयाँ ।
फिर किसी ने आज छेड़ा ज़िक्र-ए-मन्ज़िल इस तरह,
दिल के दामन से लिपटने आ गयी हैं दूरीयाँ ।
राह चलते लोग क्या समझे मेरी मजबूरीयाँ ।
मुस्कुराते ख़्वाब चुनती गुन-गुनाती ये नज़र,
किस तरह समझे मेरी क़िस्मत की ना-मंज़ूरीयाँ ।
हादसों की भीड़ है चलता हुआ ये कारवाँ,
ज़िन्दगी का नाम है लाचारीयाँ मजबूरीयाँ ।
फिर किसी ने आज छेड़ा ज़िक्र-ए-मन्ज़िल इस तरह,
दिल के दामन से लिपटने आ गयी हैं दूरीयाँ ।
- Sardar Anjum.
- Jagjit Singh.