Yeh Mojeza Bhi Mohabbat Kabhi Dikhaye Mujhe.

ये मोजेज़ा भी मोहब्बत कभी दिखाए मुझे,
के सँग तुझपे गिरे और ज़ख़्म आए मुझे ।

वो मेहरबाँ है तो इक़रार क्यूँ नहीं करता,
वो बद-गुमाँ है तो सौ बार आज़माए मुझे ।

वो मेरा दोस्त है सारे जहां को है मालूम,
दग़ा करे वो किसी से तो शर्म आए मुझे ।

मैं अपनी ज़ात में नीलाम हो रहा हूँ ‘क़तील’,
ग़म-ए-हयात से कह दो ख़रीद लाए मुझे ।
  • Qateel Shifai.
  • Jagjit Singh.