Ye Sheeshe Ye Sapne Ye Rishtey Ye Dhaage Kise Kya Khabar Hai.
ये शीशे ये सपने ये रिश्ते ये धागे, किसे क्या ख़बर है कहाँ टूट जायें,
मोहब्बत के दरिया में तिनके वफ़ा के, न जाने ये किस मोड़ पर डूब जायें ।
अजब दिल की वादी अजब दिल की बस्ती, हर एक मोड़ मौसम नई ख़्वाइशों का,
लगाए हैं हमने भी सपनो के पौधे, मगर क्या भरोसा यहाँ बारिशों का ।
मुरादों की मंज़िल के सपनो में खोए, मोहब्बत की राहों पे हम चल पड़े थे,
ज़रा दूर चल कर जब आँखें खुली तो, कड़ी धूप में हम अकेले खड़े थे ।
जिन्हें दिल से चाहा जिन्हें दिल से पूजा, नज़र आ रहे हैं वही अजनबी से,
रवायत है शायद यह सदियों पुरानी, शिक़ायत नहीं है कोई ज़िन्दगी से ।
मोहब्बत के दरिया में तिनके वफ़ा के, न जाने ये किस मोड़ पर डूब जायें ।
अजब दिल की वादी अजब दिल की बस्ती, हर एक मोड़ मौसम नई ख़्वाइशों का,
लगाए हैं हमने भी सपनो के पौधे, मगर क्या भरोसा यहाँ बारिशों का ।
मुरादों की मंज़िल के सपनो में खोए, मोहब्बत की राहों पे हम चल पड़े थे,
ज़रा दूर चल कर जब आँखें खुली तो, कड़ी धूप में हम अकेले खड़े थे ।
जिन्हें दिल से चाहा जिन्हें दिल से पूजा, नज़र आ रहे हैं वही अजनबी से,
रवायत है शायद यह सदियों पुरानी, शिक़ायत नहीं है कोई ज़िन्दगी से ।
- Jagjit Singh.