Paani Mein Meen Pyaasi Mohe Sun Sun Aave Haansi Re. / पानी में मीन पियासी, मोहि सुन-सुन हावे हाँसी रे,

पानी में मीन पियासी, मोहि सुन-सुन हावे हाँसी रे
जल तल सागर कुर रहा है, भटकत फिरे उदासी रे ।
आतम ज्ञान बिना नर भटके, कोई मथुरा कोई काशी रे ।
कहत कबीर सुनो भई साधो, सहज मिले ना विलासी रे ।
  • Jagjit Singh.
  • Kabir

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पानी में मीन पियासी, मोहि सुन-सुन हावे हाँसी ।
जल तल सागर कुर रहा है, भटकत फिरे उदासी रे ।
आतम ज्ञान बिना नर भटके, कोई मथुरा कोई काशी रे ।
मिरगा नाभि बसे कस्तूरी, बन बन फिरत उदासी रे ।
जल-बिच कमल कमल बिच कलियाँ, तापर भँवर निवासी रे ।
सो मन बस त्रैलोक्य भयो हैं, यति सती सन्यासी रे ।
है हाजिर तेहि दूर बतावें, दूर की बात निरासी रे ।
कहत कबीर सुनो भई साधो, सहज मिले ना विलासी रे ।
कहत कबीरा सुनो भाई साधो, गुरुबिन भरम न जासी रे