Jai Madhav Madan Murari Jai Keshav Kali Mal Hari.
जय माधव मदन मुरारी,
जय केशव कलीमल हारी ।
सुन्दर कुण्ड़ल नयन विशाला,
गले सोहे वैजन्तीमाला,
या छवी की बलीहारी ।
कबहुं लूट लूट दधी खायो,
कबहुं मधुबन रास रचायो,
नाचत बिपिन बिहारी ।
करुणा कर द्रौपदी पुकारी,
पट में लिपट गये बलिहारी,
निरक रहे नर नारी ।
जय केशव कलीमल हारी ।
सुन्दर कुण्ड़ल नयन विशाला,
गले सोहे वैजन्तीमाला,
या छवी की बलीहारी ।
कबहुं लूट लूट दधी खायो,
कबहुं मधुबन रास रचायो,
नाचत बिपिन बिहारी ।
करुणा कर द्रौपदी पुकारी,
पट में लिपट गये बलिहारी,
निरक रहे नर नारी ।
- Chitra - Jagjit Singh.