Tere Qadmaon Pe Sar Hoga Qaza Sar Pe Khadi Hogi.
तेरे क़दमों पे सर होगा कज़ा सर पे खड़ी होगी,
फिर उस सजदे का क्या कहना अनोखी बन्दगी होगी ।
नसीम-ए-सुबह गुलशन में गुलों से खेलती होगी,
किसी की आख़िरी हिचकी किसी की दिललगी होगी ।
दिखा दूँगा सर-ए-महफ़िल बता दूँगा सर-ए-महशे,
वो मेरे दिल में होगी और दुनिया देखती होगी ।
मज़ा आ जाएगा नशे में फिर सुनने सुनाने का,
ज़ुबान होगी वहाँ मेरी कहानी आपकी होगी ।
तुम्हें तानिस्ता महफ़िल में जो देखा हो तो मुज़रिम हूँ,
नज़र आख़िर नज़र है बे-ईरादा उठ गयी होगी ।
फिर उस सजदे का क्या कहना अनोखी बन्दगी होगी ।
नसीम-ए-सुबह गुलशन में गुलों से खेलती होगी,
किसी की आख़िरी हिचकी किसी की दिललगी होगी ।
दिखा दूँगा सर-ए-महफ़िल बता दूँगा सर-ए-महशे,
वो मेरे दिल में होगी और दुनिया देखती होगी ।
मज़ा आ जाएगा नशे में फिर सुनने सुनाने का,
ज़ुबान होगी वहाँ मेरी कहानी आपकी होगी ।
तुम्हें तानिस्ता महफ़िल में जो देखा हो तो मुज़रिम हूँ,
नज़र आख़िर नज़र है बे-ईरादा उठ गयी होगी ।
- Seemab Akbarabadi.
- Jagjit Singh.