Apne Chehre Se Jo Zaahir Hai Chupayein Kaise.
अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाए कैसे,
तेरी मर्जी के मुताबि़क नज़र आए कैसे ।
घर सजाने का तसव्वूर बहुत बाद का है,
पहले ये तय हो की इस घर को बचाए कैसे ।
कर कहा आँख का बरताव बदल देता है,
हँसने वाले तुझे आँसू नज़र आए कैसे ।
कोई अपनी ही नज़र से तो हमें देखेगा,
ऐ कतरे को समंदर नज़र आए कैसे ।
तेरी मर्जी के मुताबि़क नज़र आए कैसे ।
घर सजाने का तसव्वूर बहुत बाद का है,
पहले ये तय हो की इस घर को बचाए कैसे ।
कर कहा आँख का बरताव बदल देता है,
हँसने वाले तुझे आँसू नज़र आए कैसे ।
कोई अपनी ही नज़र से तो हमें देखेगा,
ऐ कतरे को समंदर नज़र आए कैसे ।
- Waseem Barelvii.
- Jagjit Singh.