Main Roya Pardes Mein Bhiga Maa Ka Pyaar Dukh Ne.
मैं रोया परदेस में, भीगा माँ का प्यार,
दुःख ने दुःख से बात की, बिन चिट्ठी बिन तार ।
छोटा करके देखिये, जीवन का विस्तार,
आँखों भर आकाश है, बाँहों भर संसार ।
ले के तन के नाप को, घुमे बस्ती गाँव,
हर चादर के घेर से, बाहर निकले पाँव ।
सब की पूजा एक सी, अलग अलग हर रीत,
मस्ज़िद जाए मौलवी, कोयल गाए गीत ।
पूजा-घर में मूर्ति, मीरा के संग श्याम,
जिसकी जितनी चाकरी, उतने उसके दाम ।
नदीया सीचे खेत को, तोता कुतरे आम,
सूरज ठेकेदार सा, सबको बाँटे काम ।
सातों दिन भगवान के, क्या मंगल क्या पीर,
जिस दिन सोए देर तक, भूखा रहे फ़किर ।
अच्छी संगत बैठकर, संगी बदले रूप,
जैसे मिलकर आम से, मिठी हो गयी धूप ।
सपना झरना नींद का, जागी आँखें प्यास,
पाना खोना खोजना, सांसो का इतिहास ।
चाहे गीता बाचिए, या पढ़िये कुरान,
मेरा तेरा प्यार ही, हर पुस्तक का ज्ञान ।
दुःख ने दुःख से बात की, बिन चिट्ठी बिन तार ।
छोटा करके देखिये, जीवन का विस्तार,
आँखों भर आकाश है, बाँहों भर संसार ।
ले के तन के नाप को, घुमे बस्ती गाँव,
हर चादर के घेर से, बाहर निकले पाँव ।
सब की पूजा एक सी, अलग अलग हर रीत,
मस्ज़िद जाए मौलवी, कोयल गाए गीत ।
पूजा-घर में मूर्ति, मीरा के संग श्याम,
जिसकी जितनी चाकरी, उतने उसके दाम ।
नदीया सीचे खेत को, तोता कुतरे आम,
सूरज ठेकेदार सा, सबको बाँटे काम ।
सातों दिन भगवान के, क्या मंगल क्या पीर,
जिस दिन सोए देर तक, भूखा रहे फ़किर ।
अच्छी संगत बैठकर, संगी बदले रूप,
जैसे मिलकर आम से, मिठी हो गयी धूप ।
सपना झरना नींद का, जागी आँखें प्यास,
पाना खोना खोजना, सांसो का इतिहास ।
चाहे गीता बाचिए, या पढ़िये कुरान,
मेरा तेरा प्यार ही, हर पुस्तक का ज्ञान ।
- Nida Fazli.
- Jagjit Singh.