Koi Chaudhwii Raat Ka Chand Bankar Tumhare Tassavur.

कोई चौधवी रात का चाँद बनकर, तुम्हारे तसव्वुर में आया तो होगा,
किसी से तो कि होगी तुमने मोहब्बत, किसी को गले से लगाया तो होगा ।

तुम्हारे ख़यालों कि अँगड़ाईयों में, मेरी याद के फूल महके तो होंगे,
कभी अपनी आँखों के काजल से तुमने, मेरा नाम लिखकर मिटाया तो होगा ।

लबों से मोहब्बत का जादू जगाके, भरी बज़्म में सबसे नज़रे बचाके,
निगाहों कि राहों से दिल में समाके, किसी ने तुम्हें भी चुराया तो होगा ।

कभी आईने से निगाहें मिलाकर, जो ली होगी भरपूर अँगड़ाई तुने,
तो घबराके खुद तेरी अँगड़ाईयों ने, तेरे हुस्न को गुद-गुदाया तो होगा ।

निगाहों में शम्म-ए-तमन्ना जलाके, तकी होंगी तुमने भी राहें किसी की,
किसी ने तो वादा किया होगा तुमसे, किसी ने तुम्हें भी रूलाया तो होगा ।
  • Akhtar Azad.
  • Jagjit Singh.