Jahan Jahan Mujhe Sehra Dikhai Deta Hai.
जहाँ जहाँ मुझे सहरा दिखाई देता है,
मेरी तरह से अकेला दिखाई देता है ।
ये एक अब्र का टुकड़ा कहाँ कहाँ बरसे,
तमाम दश्त ही प्यासा दिखाई देता है ।
ये किस मुक़ाम पे लायी है जुस्तजू तेरी,
जहाँ से अर्श भी नीचा दिखाई देता है ।
ये भिगी पलकें किसी की ये अश्कबा आँखें,
पसे गुबार भी क्या क्या दिखाई देता है ।
मेरी तरह से अकेला दिखाई देता है ।
ये एक अब्र का टुकड़ा कहाँ कहाँ बरसे,
तमाम दश्त ही प्यासा दिखाई देता है ।
ये किस मुक़ाम पे लायी है जुस्तजू तेरी,
जहाँ से अर्श भी नीचा दिखाई देता है ।
ये भिगी पलकें किसी की ये अश्कबा आँखें,
पसे गुबार भी क्या क्या दिखाई देता है ।
- Shakeb Jalali.
- Chitra Singh.