आँख से दूर ना हो दिल से उतर जायेगा,
वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जायेगा ।
इतना मानूस न हो ख़िल्वत-ए-ग़म से अपनी,
तू कभी ख़ुद को भी देखेगा तो डर जायेगा ।
तुम सर-ए-राह-ए-वफ़ा देखते रह जाओगे,
और वो बाम-ए-रफ़ाकत से उतर जायेगा ।
ज़िन्दगी तेरी अता है तो ये जानेवाला,
तेरी बख़्शीश तेरी दहलीज़ पे धर जायेगा ।
वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जायेगा ।
इतना मानूस न हो ख़िल्वत-ए-ग़म से अपनी,
तू कभी ख़ुद को भी देखेगा तो डर जायेगा ।
तुम सर-ए-राह-ए-वफ़ा देखते रह जाओगे,
और वो बाम-ए-रफ़ाकत से उतर जायेगा ।
ज़िन्दगी तेरी अता है तो ये जानेवाला,
तेरी बख़्शीश तेरी दहलीज़ पे धर जायेगा ।
- Ahmed Faraz.
- Lata Mangeshkar.