Dhuan Banake Fiza Mein Udaa Diya Mujhko. / धुँआ बना के फिज़ा में उड़ा दिया मुझको,

धुँआ बना के फिज़ा में उड़ा दिया मुझको,
मैं जल रहा था किसी ने बुझा दिया मुझको ।

खड़ा हूँ आज भी रोटी के चार हर्फ़ लिये,
सवाल ये है किताबों ने क्या दिया मुझको ।

सफेद संग कि चादर लपेट कर मुझ पर,
फसीने शहर पर किस ने सजा दिया मुझको ।

मैं एक ज़र्रा बुलन्दी को छुने निकला था,
हवा ने थाम कर ज़मीन पर गिरा दिया मुझको ।
  • Nazeer Baqri.
  • Lata Mangeshkar.