Dhoop Mein Niklo Ghataon Mein Nahakar To Dekho. / धूप में निकलो घटाओं में नहाकर तो देखो,
धूप में निकलो घटाओं में नहाकर तो देखो,
ज़िन्दगी क्या है किताबों को हटाकर तो देखो ।
वो सितारा है चमकने दो यूँ ही आँखों में,
क्या जरूरी है उसे जिस्म बनाकर देखो ।
पत्थरों में ज़ुबान होती है दिल होते है,
अपनी घर की दर-ओ-दीवार सजाकर देखो ।
फ़ासिला नज़रों का धोखा भी तो हो सकता है,
वो मिले या ना मिले हाथ बढाकर देखो ।
ज़िन्दगी क्या है किताबों को हटाकर तो देखो ।
वो सितारा है चमकने दो यूँ ही आँखों में,
क्या जरूरी है उसे जिस्म बनाकर देखो ।
पत्थरों में ज़ुबान होती है दिल होते है,
अपनी घर की दर-ओ-दीवार सजाकर देखो ।
फ़ासिला नज़रों का धोखा भी तो हो सकता है,
वो मिले या ना मिले हाथ बढाकर देखो ।
- Nida Fazli.
- Jagjit Singh.