Kisi Ranjish Ko Hawa Do Ke Main Zinda Hoon Abhi. / किसी रंजिश को हवा दो कि मैं ज़िन्दा हूँ अभी,
किसी रंजिश को हवा दो कि मैं ज़िन्दा हूँ अभी,
मुझको एहसास दिला दो कि मैं ज़िन्दा हूँ अभी ।
मेरे रूकने से मेरी सांसें भी रूक जायेंगी,
फ़ासले और बढ़ा दो कि मैं ज़िन्दा हूँ अभी ।
ज़हर पीने की तो आदत थी ज़माने वालों,
अब कोई और दवा दो कि मैं ज़िन्दा हूँ अभी ।
चलती राहों में यूँ ही आँख लगी है ‘फ़ाक़िर’,
भीड़ लोगों की हटा दो कि मैं ज़िन्दा हूँ अभी ।
मुझको एहसास दिला दो कि मैं ज़िन्दा हूँ अभी ।
मेरे रूकने से मेरी सांसें भी रूक जायेंगी,
फ़ासले और बढ़ा दो कि मैं ज़िन्दा हूँ अभी ।
ज़हर पीने की तो आदत थी ज़माने वालों,
अब कोई और दवा दो कि मैं ज़िन्दा हूँ अभी ।
चलती राहों में यूँ ही आँख लगी है ‘फ़ाक़िर’,
भीड़ लोगों की हटा दो कि मैं ज़िन्दा हूँ अभी ।
- Sudarshan Faakir.
- Chitra Singh.